अनाहत चक्र (Anahata Chakra in Hindi)

Anahata Chakra
Anahata Chakra

अनाहत चक्र (Anahata Chakra in Hindi) क्या है :-

अनाहत चक्र का अर्थ होता है खुला हुआ अथवा अजेय। यह हमारे शरीर का चौथा मुख्य चक्र होता है। इस चक्र का सीधा सबंध प्रेम से होता है क्यूंकि यह चक्र ह्रदय के पास होता है। और ह्रदय प्रेम से जुड़ा हुआ होता है। तो मनुष्य अपने जीवन में जितना भी प्रेम बढ़ाएगा अनाहत चक्र उतना हीं सक्रीय होता जाएगा।

इसका समान रूप तत्व वायु है। वायु प्रतीक है-स्वतंत्रता और फैलाव का। इसका अर्थ है कि इस चक्र में हमारी चेतना अनंत तक फैल सकती है। हृदय स्थल में स्थित स्वर्णिम वर्ण का द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अनाहत चक्र का प्रतीक पशु कुरंग (हिरण) है जो अत्यधिक ध्यान देने और चौकन्नेपन का हमें स्मरण कराता है।

अनाहत चक्र का मंत्र :-

इस चक्र का मन्त्र होता है – यं। इस चक्र को जाग्रत करने के लिए आपको लं मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाना होता है।

अनाहत चक्र का स्थान :-

चक्र छाती के मध्य भाग पर स्थित होता है।

अनाहत चक्र जागृत करने की विधि :-

यह चक्र ह्रदय के पास होता है इसलिए हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।

अनाहत चक्र जागरण के प्रभाव :-

जब अनाहत-चक्र मनुष्य के अन्दर जागृत हो जाता है तो व्यक्ति के अंदर चिंता , भय , मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। अथार्त व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। जब यह चक्र जागृत होता है तो व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता हैं।

इस चक्र के जागृत होने पर ही व्यक्ति को बहुत सी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती है। जिससे व्यक्ति को ब्र्ह्मबान्दीय उर्जा से शक्ति प्राप्त होती है। अगर यह चक्र मनुष्य के अंदर जागृत हो जाता है तो मनुष्य सूक्ष्म रूप धारण कर सकता है और उसको अपना शरीर त्यागने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। इससे वायु तत्व से सभंदित सिद्धियाँ प्राप्त होती है। श्रधा प्रेम जागृत हो उठता है। अनाहत चक्र में बारह पंखुडिय़ों का एक कमल है।

यह हृदय के दैवीय गुणों जैसे परमानंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता, शुद्धता, एकता, अनुकंपा, दयालुता, क्षमाभाव और सुनिश्चिय का प्रतीक है। तथापि, हृदय केन्द्र भावनाओं और मनोभावों का केन्द्र भी है।

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