कुण्डलिनी योग (Kundalini Yoga in Hindi)

Kundalini Yoga
Kundalini Yoga

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कुंडलिनी योग क्या है ? (What is Kundalini Yoga ?)

कुण्डलिनी योग आध्यात्मिक विकासकी यात्रा का विज्ञान है। काम से राम (इश्वर) तक की यात्रा एक विज्ञान है। कुंडलिनी योग के माध्यम से तेजी से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास एक साथ होता है।

इश्वर(प्रभु) ने प्रत्येक मनुष्य को समान रूप से मूल शक्ति दी है। इस शक्ति को विकसित करना हमारी जिम्मेदारी है। यह शक्ति का विकास एक साथ – कर्म भक्ति और ज्ञान के माध्यम से तेजी से होता है।

हमारी निष्क्रिय शक्ति की तुलना बर्फ से की जा सकती है। बर्फ को गर्म करके, पानी को १०० डिग्री तक गर्म करके वाष्पित हो जाता है। उसी प्रकार चक्रविज्ञान का अभ्यास करने से हमारी सुप्त शक्ति मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक पहुँचती है। (Kundalini Yoga in Hindi)

चक्र (कुण्डलि) की साधनासे तीन बात का पता चलता है।

कुण्डलिनी ध्यानकी नर्चरी कलास है। कुण्डलिनी जागे बिना ध्यान नही हो सकता

नाड़ी क्या है ? (What is pulse)

हमारे शरीर में मुख्य तीन नाड़ी है।

  • इड़ा
  • पिंगला
  • सुषुम्ना

वैसे तो हमारे शरीर में 72000  नाड़ियां होती हैं पर उनमें से तीन मुख्य नाड़ियां होती हैं, वह इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी | नाड़ी शब्द एक संस्कृत शब्द से लिया गया है इसका मतलब है -नाली जैसा प्रवाह | इन नाड़ियों के माध्यम से प्राण वायु हमारे शरीर में विकसित होती है और हमें ऊर्जा प्रदान करती हैं |

जब हमारे  बाय ओर के नाक के छिद्र से श्वास आती है, प्राणवायु आती है तब इड़ा नाडी चल रही होती है | इस नाड़ी को चंद्रमा की संज्ञा दी गई है और जब हमारे दाय ओर के नाक के छिद्र श्वास आ रही होती है- तब पिंगला नाड़ी चल रही होती है, इसे सूर्य की संज्ञा दी गई है शास्त्रों में सूर्य को हमारे पिता की संज्ञा दी गई है और चंद्रमा को हमारी माता की संज्ञा दी गई है | अगर हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी संतुलित है सही है तो ही हमारा शरीर स्वस्थ रह सकता है | इसे अधिक जाने (Kundalini Yoga in Hindi)

सामान्य बात करे तो इड़ा ओर पिंगला मे वायु चलती है । सुषुम्ना मे लिकविड (तरल पदार्थ) भरा हुवा रहेता है। जब किसी व्यक्ति को पेरेलाईस (लकवा) होता हैैै। डाक्टर उनकी सुषुम्नाना मे सुई खुसेड देता है। ओर लिकविड (तरल पदार्थ) नीकाल लेता है। लिक्विड (तरल पदार्थ) के एग्जामिनेशन से पता चल जाता है। की बिमारी क्या है ओर इसे केसे ठिक किया जायेगा।

सुषुम्ना नाडी लिक्विड (तरल पदार्थ) से भरी हुई है। जहा हमारी खोपरी खत्म होती है। वहा एक गांठ है। ए गांठ और रीड की हड्डी जहां समाप्त होती है। उनकी बीसमे लिकविड भराहुवा रहेता है। ओर इसे गांठ इसी काम के लीये बनाई गई है। जहा हमारी रीड की हड्डी समाप्त होती है। वहाका जो मास है। उस मास के अंदर जो मास है। उसकी पोजीशन इस प्रकार है की उसने साडे तीन बल खाये हुये है । जो आधा बल है इसका बल है उनका मुख नीचे की तरह है। ओर यही से लिकविड शरु होता है ओर उपर की गाठ तक होता है।

चर्पनी क्यो क्यो कहा की चाप की तरह कुण्डल मारे हुए है। ओर फैन जो है वो चीचे की ओर रखा हुवा है। इसलीये उनको चर्पनी कहा है। अग्रेजी मे चर्पनटाइन (Serpentine) हो गया। जो आधा भाग नीचे की ओर झुका हुआ है उसको उपर उठाना है। उसके कुच तरीके है। (Kundalini Yoga in Hindi इसे अधिक जाने)

नाड़ी के बारेमे अधिक जाने:- Click here

कुंडलिनी जागरण कैसे करें ? (How to do Kundalini Jagran?)

  • कुण्डलिनी एक्सीडेंट जाग उठती है
  • योग
  • शक्तिपात
  • ध्यान

कुण्डलिनी एक्सीडेंट जाग उठती है (Kundalini Accident Wakes Up)

जो आधा भाग नीचे की ओर झुका हुआ है वो अचानक से उपर हो जाना – (The half that is tilted downwards suddenly goes up)

इसा बहुत कम होता है। कुण्डलिनी एक्सीडेंट जाग उठने की सभावना बहुत कम होती है।

योग (Yoga)

योग मे सबसे सावधानी बरतनी होती है। की जब योग गुरु सामने न हो तब तक शरीरके साथ कोय सेड साड नही हरना है। क्योकी प्राण का मामला है। प्राण कही भी फंस सकता है। आपने देखा होगा की कभी कबार खाते-खाते गलेमे कोइ चिज फंंस जाती है। तो प्रोबलेम खडा हो जाता है येतो प्राण का मामला है।

इसलीये खास ध्यान रहे की गुरु के बीना योगा ना करे। क्योकी गुरु को मालुम होता है की योग कीस प्रकार कराना है। और जब वो सामने होता है तो प्राण के साथ जोभी हो रहा उदे देख रहा होता है। गुरु भी एसा होना चाहिये जो योग की परंम सिध्धी जीसे प्राप्त हो। योगा एडवांस नहीं है कुण्डलिनी जागरण के लिये। (Kundalini Yoga in Hindi)

शक्तिपात (Shaktipat)

जिसने ब्रह्म ऊर्जा है। वो अपनी उर्जा देकर कुंडलिनी जगा सकता है। लेकिन इसमें प्रॉब्लम क्या होता है की कुंडलिनी एकम जल्दी से जाग उठने की वजहसे दोनो साईटमे जगर(गेप) रह रहा हुवा होता है। इधर जो उपर उठा हुवा भाग है उसको कुछ दिनो मे जगह मिलेगी तो कुंडलिनी(उपर उठा हुवा जो भाग) इधर-उधर चली जाएगी (चर्क जाएगी-स्थान बदल जाएगा)।

क्योंकि नीचे जो मांस भरना शरु हुवा है इधर कुंडलिको खाली जगह मिली हुई है। जो मांस है वो नीचे से भरना शुरू हो गया है। लेकिन ऊपर की तक पहुँचने के लिए कुच दिन लगता है। और जो ऊपर उठा हुआ भाग है वो चर्क जाता है तो जहा गया है (जहा पे अटका हुवा है।) वहापे लिकविड (तरल पदार्थ) चोडता है। जीसे शरीरको कई प्रकारके कष्ट दे दकता है।

शक्तिपात वही गुरु करा चकता है जो परंम ब्रह्म को प्राप्त किया होगा होता है। वो तो ऊर्जा का भंडार होता है। वही शक्तिपात करा चकता है।आज-काल जो लोग शक्तिपात करता है वो उनकी पास खुदकी पुर्ती उर्जा नही होती है वो दुसरोको केसे उर्जा दे सकता है। इस लिये ध्यान रखे। शक्तिपात करालेना काफि नही है। उसके बाद जो कुंडलिनी चर्ज जाती है बो सबहसे भडा प्रोभलेम खडा खरती है। इसमीये इसे सावधान रहीये। (Kundalini Yoga in Hindi)

ध्यान (Attention – Meditation)

ध्यान एक स्थिति में यानी एक अवस्था (सिटींग) मे सिर के बाल के बराबर उथती है। और 24 घंटे में मांस वो खाली जगह भर देता है। इसी तरह फिर अगले दिन सिर के बाल के बराबर कुडंंलिनी उठती है और फिर से 24 घंटे में मांस वो खाली जगह भर देता है। इसी तरफ तीन-चार या पांच माहिने मे कुडंलिनी जागृत  की जाती है। (आपके शरीर पर निरभर करता है) ध्यानमे  जागी हुई कुडंलिनी वापन नीचे नही आती है क्योकी गेप नही रहा जो खाली जगह पडती है उसमें मांस आ गया होता है। 

इसी तरह जो नीचे की ओर झुका हुआ आधा भाग उपर उठ जाता है और सुषुम्ना की नीचे आ जाता है।सुषुम्ना में पहले ही लिक्विड (तरल पदार्थ) भरा हुआ होता है। और कुण्डलिनी भी लिक्विड (तरल पदार्थ) ऊपर की ओर प्रेशर कर रही है।

प्रेशर की वजह से जो हमारी खोपरी खत्म होती है। वहा एक गांठ है। वो गांठ खुल जाती है। गांठ खोलने से लिक्विड स्कल (खोपड़ी) नीचे होकर मस्तक में आ जाता है जब माथा( मस्तक) भर जाता है ओर माथे (मस्तीक) से होकर जो दो आंखों के बीच ब्रह्मरंध्र (जहा हम तिलक करते है बो जगा – जीसे ब्रह्मरंध्र कहते है । और मेडिकल भाषा मे उसे burr hole कहते है ) मे लिक्विड आता है। ओर जब ब्रह्मरंध्र खुल जाता है।

(जब किसी को दिमागी बीमारी होती है तो डॉक्टर ब्रह्मरंध्र (burr hole) मे लम्बी सुई घुसेड़ कर उसमें से लिक्विड ले लेता है।ओर लिकविड (तरल पदार्थ) नीकाल लेता है। लिक्विड (तरल पदार्थ) के एग्जामिनेशन से पता चल जाता है।की बिमारी क्या है ओर इसे केसे ठिक किया जायेगा उसका पता चलता है।) तो लिक्विड बाई गाल से होते हुए नीचे की ओर चिधे नाभि मे टपकता (गीरता) है।

नाभि में तो पानी है और जब पानी के ऊपर लिक्विड टपकता है तो उसमे आवाज आती है (जैसे कि आपने देखा होगा जब आप तालाब में कान्करी फेकते हो तो आवाज आता है ओर हल चल भी मचाता है।) तो उस आवाज को अनहद नाद कहेते है।

अनहद अर्थ है बिना बजाया हुवा,
नाद अर्थ है आवाज,
अनहद नाद – बिना बजाया हुवा आवाज

जब एक बूंद गिरती है तो आवाज आता है और जब एक बूंद का आवाज खत्म नही होता तो दुसरी बूंद गीर जाते है ईसी तरह जो पहेली बूंद का आवाज खत्म होने से पहेले दुसरी बूंद का आवाज शरु हो जाता है अर्थात जो अनहद नाद होता है वो निरंतर चलता रहता है।

इसलिए तो कबीरने कहा – ‘बरसे कम्बल भींजे पानी

कम्बल – माथा( मस्तक),

लिक्विड नाभि से हो कर मूलाधार को जा पहुंचा है और मूलाधार में ही कुंडलिनी है। तो मतलब क्या पूरी बॉडी के अंदर एक सर्कल काट के फिर उसी में चला गया। तो लिक्विड (तरल पदार्थ) का एक साइकिल बन जाता है। जो निरंतर चलता रहता है। जैसे कि पानी से बिजली पेदा होती है इसी तरह लिक्विड (तरल पदार्थ) नाभी मे गीरनेसे कॉस्मिक एनर्जी (ब्रह्म ऊर्जा) पैदा होती है। इसी कॉस्मिक एनर्जी (ब्रह्म ऊर्जा) आत्मा शरीर से बाहर निकल कर यात्रा करता है।

जब तक सर्कल शरू नही होगा तब तक कॉस्मिक एनर्जी (ब्रह्म ऊर्जा) नही बनेगी। इस लिये तो जब तक कुंडलिनी जागृत नहीं होती है तब तक हमारा चारे ध्यान का फोकस (पर्पस) कुंडलिनी जगाना होता है और कुछ नहीं। (Kundalini Yoga in Hindi)

कुंडलिनी जागृत करने के उचित मार्ग (The proper way to awaken Kundalini)

हमारी कष्टी मे ध्यान सबसे सीधा, सादा और सरल मार्ग है। (Kundalini Yoga in Hindi)

फिर भी आप अपने गुरुदेव से सुजाव ले सकते हो। (Kundalini Yoga in Hindi)

चक्र तथा कुण्डलिनी (Chakras and Kundalini)

हमारे शास्त्रों में चक्रों के बारे में बहुत कुछ कहा गया है । मनुष्य के शरीर  में सात चक्राकार घूमने वाले ऊर्जा केन्द्र होते  हैं, जो मेरूदंड में अवस्थित होते है और मेरूदंड (Spinal Column) के आधार से ऊपर उठकर खोपड़ी तक फैले होते हैं। इन्हें चक्र कहते हैं, क्योंकि संस्कृत में चक्र का मतलब वृत्त, पहिया या गोल वस्तु होता है। इनका वर्णन हमारे उपनिषदों में मिलता है। प्रत्येक चक्र को एक विशेष रंग में प्रदर्शित किया जाता है एवं उसमे कमल की एक निश्चित संख्या में पंखुड़ियां होती हैं। हर पंखुड़ी में संस्कृत का एक अक्षर लिखा होता है। इन अक्षरों में से एक अक्षर उस चक्र की मुख्य ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है।

ये चक्र प्राण ऊर्जा के कैंद्र हैं। यह प्राण ऊर्जा कुछ वाहिकाओं में बहती है, जिनको नाड़ियां कहते हैं। सुषुम्ना एक मुख्य नाड़ी है जो मेरुदन्ड में अवस्थित रहती है, दो पतली इड़ा और पिंगला नाम की नाड़ियां हैं जो मेरुदन्ड के समानान्तर क्रमशः बाई और दाहिनी तरफ उपस्थित रहती हैं।  इड़ा और पिंगला मस्तिष्क के दोनों गोलार्धों से संबन्ध बनाये रखती हैं। पिंगला बहिर्मुखी सूर्य नाड़ी है जो बाएं गोलार्ध से संबन्ध रखती है। इड़ा अन्तर्मुखी चंद्र नाड़ी है जो दाहिने गोलार्ध से संबन्ध रखती है।

प्रत्येक चक्र भौतिक देह के विशिष्ट हिस्से और अंग से संबन्ध रखता है और उसे सुचारु रूप से कार्य करने हेतु आवश्यक ऊर्जा उपलब्ध करवाता है। साथ में हर चक्र एक निश्चित स्तर तक के ऊर्जा कंपन को वर्णित करता है एवं विभिन्न चक्रों में मानव के शारीरिक एवं भावनात्मक पहलू भी प्रतिबिम्बित होते  हैं। नीचे के चक्र शरीर के बुनियादी व्यवहार और आवश्यकता से संबन्धित हैं, सघन होते हैं और कम आवृत्ति पर कम्पन करते हैं। जबकि ऊपर के  चक्र उच्च मानसिक और आध्यात्मिक संकायों से संबन्धित हैं। चक्रों में ऊर्जा का उन्मुक्त प्रवाह हमारे स्वास्थ्य और शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को सुनिश्चित करता है।

आपकी सूक्ष्म देह, आपका ऊर्जा क्षेत्र और संपूर्ण चक्र-तंत्र का आधार प्राण है, जो कि ब्रह्मांड में जीवन और ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। ये चक्र  प्राण ऊर्जा का संचय, रूपान्तर और प्रवाह करते हैं और भौतिक देह के लिए प्राण ऊर्जा के प्रवेश-द्वार कहे जाते हैं। इस प्राण ऊर्जा के बिना भौतिक देह का अस्तित्व और जीवन संभव नहीं है। (Kundalini Yoga in Hindi)

आइये जानते हैं प्राथमिक सातों चक्र किस रूप में  बताये गए हैं।

चक्रो के बारेमे जनने के लिये उनके उपर Click करे।

(1) मूलाधार – Muladhara – आधार चक्र

(2) स्वाधिष्ठान – Svadhisthana – त्रिक चक्र

(3) मणिपुर –  Mauipura – नाभि चक्र

(4) अनाहत – Anahata – हृदय चक्र

(5) विशुद्ध –  Visuddha –  कंठ चक्र

(6) अजन –  Ajna – ललाट या तृतीय नेत्र

(7) सहस्रार –  Sahasrara – शीर्ष चक्र

कुंडलिनी योग अभ्यास कैसे करें (How to Practice Kundalini Yoga)

Kundalini Yoga
Kundalini Yoga

विभिन्न कुंडलिनी योग हमारे अंदर की ऊर्जा को जगाने, और बाहर निकालने के लिए होते है| लेकिन इसके लिए आपको विभिन्न सांस लेने के व्यायाम, शारीरिक व्यायाम, का जप और ध्यान लगाने की क्रिया को करना पड़ता है, जिसकी मदद से आप अपने अंदर की शक्ति याने की उन् ७ चक्रो को जगा सके| (Kundalini Yoga in Hindi)

कुंडलिनी को हम जब ध्यान के द्वारा जागृत करते है तो यह यही शक्ति जागृत होकर हमारे शरीर के सभी चक्रों को क्रियाशील करने का काम करती है| योग अभ्यास से ही सुप्त कुंडलिनी को जाग्रत किया जा सकता है| कुंडलिनी ही जाग्रत होने के बाद हमारे शरीर, यहाँ तक की विचारो को प्रभावित करती है। यह हमारे नकारात्मक विचारो को सकारात्मक करती है| (Kundalini Yoga in Hindi)

कुंडलिनी योग अभ्यास करने का तरीका (The way to Practice Kundalini Yoga)

कुंडलिनी योग को करने के लिए सबसे पहले साधक को अपने मन और शरीर को पवित्र करना होगा| मन को पवित्र करने के लिए बुरा न सोचे, सत्य बोले और और सबके प्रति अपना व्यवहार अच्छा करे| शरीर को पवित्र करने के लिए सादा भोजन ग्रहण करे तथा उपवास रखे|

इस योग में अपनी दिनचर्या में सुधार लाना भी जरुरी है| इसके लिए आपको प्रातः काल जल्दी उठना और रात में जल्दी सोने की आदत डालना पड़ेगी। इसके अतिरिक्त रोज सुबह और शाम को नियमित रूप से प्राणायाम, धारणा और ध्यान का अभ्यास करना होगा|

कुंडलिनी को जागृत करने के लिए कुंडलिनी प्राणायाम बेहद प्रभावशाली माने जाते है| यदि अपने मन और मस्तिष्क को नियंत्रण में रखकर Kundalini Yoga Practice नियमित रूप से किया जाये तो 6 महीने से लेकर 1 साल के अंतगर्त कुंडलिनी जागरण होने लगती है। लेकिन इसका सही तरह से किया जाना जरुरी है, इसलिए यह योग्य गुरु के सानिध्य में ही किया जाना चाहिए| कुंडलिनी योगा का अभ्यास कम से कम एक घंटे करना चाहिए। (Kundalini Yoga in Hindi)

कुंडलिनी योग के लाभ (Kundalini Yoga Benefits)

कुंडलिनी योग से मिलने वाली सिद्धियों की कोई सीमा नहीं होती। इसमें मनुष्य अपने अंदर की सकारात्मक शक्ति को जगाकर दुख दर्द-दूर करने में सक्षम होता है। इस योग को नियमित रूप से करने पर कई फायदे मिलते है| (Kundalini Yoga in Hindi)

  • इससे रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होता है|
  • इससे रक्त शुद्ध होता है|
  • यह तनाव और अवसाद को दुर करने में मदद करता है|
  • ये पौरूष और यौन स्वास्थ्य का विकास करता है|
  • जो लोग वजन घटना चाहते है उनके लिए भी यह फायदेमंद योग है|
  • यह मन, शरीर और आत्मा को एक रेखा में लाता है|
  • यह पैर, छाती, हाथ, पेट, कूल्हों और कंधों को टोन करने में मदद करता है|
  • कुंडलिनी योग धूम्रपान और शराब की लत को छुडाने में प्रभावशाली है|
  • कुंडलिनी के 7 चक्रों का जागरण होने से मनुष्य को शक्ति और सिद्धि का ज्ञान प्राप्त होता है|
  • यह योग ज्ञानेन्द्रियों को मजबूत बनाता है, फलस्वरूप देखने, सूंघने, महसूस करने और स्वाद लेने की क्षमता बढ़ती है।
  • कुंडलिनी योग मनुष्य के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है| इस योग से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है| (Kundalini Yoga in Hindi)

कुण्डलिनी जागरण के कुछ नियम (Some Rules of Kundalini Jagran)

सर्वप्रथम स्वयं को शुद्ध और पवित्र करें। शुद्धता और पवित्रता आहार और व्यवहार से आती है। आहार अर्थात सात्विक और सुपाच्चय भोजन तथा उपवास और व्यवहार अर्थात अपने आचरण को शुद्ध रखते हुए सत्य बोलना और सभी से विनम्रतापूर्वक मिलना।

स्वयं की दिनचर्या में सुधार करते हुए जल्दी उठना और जल्दी सोना। प्रात: और संध्या को संध्यावंदन करते हुए नियमित रूप से प्राणायाम, धारणा और ध्यान का अभ्यास करना।

कुंडलिनी जागरण के लिए कुंडलिनी प्राणायाम, अत्यन्त प्रभावशाली सिद्ध होते हैं। अपने मन और मस्तिष्क को नियंत्रण में रखकर कुंडलिनी योग का लगातार अभ्यास किया जाए तो 6 से 12 माह में कुंडलिनी जागरण होने लगती है। लेकिन यह सब किसी योग्य गुरु के सानिध्य में ही संभव होता है। (Kundalini Yoga in Hindi)

  • सबसे पहले अपने आप को शुद्ध और पवित्र करें। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • वैसे शुद्धता और पवित्रता आहार और व्यवहार से आती है। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • आहार में सात्विक भोजन हो या सुपाच्चय भोजन तथा फलाहार वाला भोजन हो। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • व्यवहार का मतलब कि आचरण शुद्ध हो, सत्य बोले और किसी से विनम्रतापूर्वक मिलना।
  • अपनी लाइफ स्टाइल को बदले और सही रखें। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • इसके लिए अपनी दिनचर्या में अच्छे काम करें और बुरे ख्याल न लाएं।
  • रोज़ सुबह जल्दी उठे, और साथ ही जल्दी सोने की कोशिश भी करें।
  • रोज़ नियमित रूप से संध्यावंदन करते हुए प्राणायाम, धारणा और ध्यान का अभ्यास करें।

ध्यान केंद्रित (Concentrate)

  • अपना पूरा ध्यान अपनी सांसो पर केंद्रित करें।
  • योग और ध्यान दोनों में ही अपनी सांसो को नियंत्रित करना जरुरी है। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • जब भी कुंडलिनी योग करें तो अपना पूरा ध्यान सांसो पर केंद्रित कर लें। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • अपनी रीढ़ की हड्डी से लेकर अपने सिर तक सांसो के फ्लो पर ध्यान दें। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • अपना ध्यान नीचे से ऊपर की ओर ले जाएं। (Kundalini Yoga in Hindi)

सही स्थिति में बैठे (Sitting in the Correct Position)

  • कुंडलिनी योग हो या कोई ओर योग अपने बैठने की स्थिति को सही रखें। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • एकदम सीधे बैठे जिससे की रीढ़ की हड्डी सीधी हो। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • साथ ही अपने सिर को भी सीधा रखें। (Kundalini Yoga in Hindi)

नकारात्मकता (Negativity)

  • कुंडलिनी योग करने के पहले अपने अंदर की पूरी नकारात्मकता को बाहर निकाल दें। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • हमेशा अपने विचारो में सकरात्मता रखें और सिर्फ अच्छी बातों और अच्छी चीज़ो पर ही अपना ध्यान लगाएं।
  • जीवन के सिर्फ अच्छे पहलुओं को ही देखें। (Kundalini Yoga in Hindi)

खान पान (Food and Drink)

  • आप जो कुछ भी खाते है उसका सीधा असर व्यवहार पर पड़ता है। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • हमारा आहार शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और साथ ही आचार-विचार बनाने में मदद करता है। (Kundalini Yoga in Hindi)
  • इसलिए यह माना जाता है कि कुंडलिनी योग वाले व्यक्ति को सात्विक तरह का भोजन करना चाहिए। (Kundalini Yoga in Hindi)

शरीर के मूवमेंट्स (Body Movements)

  • अपने शरीर में कुंडलिनी शक्ति को प्राप्त करने के लिए जरुरी है कि शरीर की सही प्रकार से देखभाल की जाए।
  • इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने शरीर को आराम दें इसका मतलब है की नियमित रूप से अपने शरीर में कुछ ऐसे मूवमेंट्स करें जो आपको स्वस्थ रखने में मदद करते हों।
  • जैसे की वाकिंग करना या फिर कोई आउटडोर खेल खेलना। इसके अलावा स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज करना। (Kundalini Yoga in Hindi)

मंत्रों का जाप (Chanting Mantras)

  • अपने देखा होगा की कई योगी ध्यान करते समय कुछ मंत्रो का जाप करते है।
  • मंत्रो के जाप की मदद से ध्यान करने और एकाग्रता बढ़ाने में वृद्धि होती है।
  • कुंडलिनी शक्ति के लिए आप ‘ॐ ऐं ह्रां ह्रीं हुं ह्रै ह्रौं ह: कुल-कुंडलिनी जगन्मात: सिद्धि देही देही स्वाहा’ मंत्र का जाप करें।
  • कुंडलिनी योग सबसे शक्तिशाली योग है, और इसे सारे योग शैलियों की मां(मदर) भी कहा जाता है| कुंडलिनी योगा के द्वारा शरीर की कुंडलिनी शक्ति को जगाया जा सकता है।
  • वास्तव में आध्यात्मिक योग है। कुण्डलिनी शक्ति को जगाने के लिए इसकी मुद्राएं अपना खास स्थान रखती है। यदि इन् मुद्राओं को सही तरह से नहीं किया जाये तो कुण्डलिनी शक्ति को जगाना मुश्किल है| इसे करके हर कोई इस से लाभ पा सकता है| इसे करने के लिए कोई सीमा बंधन नहीं है, हर उम्र के व्यक्ति इससे कर सकते है|(Kundalini Yoga in Hindi)

टिप्पणी (Note)

इस पोस्टमे हमने विज्ञान भैरव तंत्र (Vigyan Bhairav Tantra), पतंजलि योग सूत्र, रामायण (Ramcharitmanas),  श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (Shrimad Bhagvat Geeta)महाभारत (Mahabhart)वेद (Vedas)  आदी परसे बनाइ है । (Kundalini Yoga in Hindi)

आपसे निवेदन है की आप योग करेनेसे पहेले उनके बारेमे जाण लेना बहुत आवशक है । आप भीरभी कोय गुरु या शास्त्रो को साथमे रखके योग करे हम नही चाहते आपका कुच बुरा हो । योगमे सावधानी नही बरतने पर आपको भारी नुकशान हो चकता है । (Kundalini Yoga in Hindi)

इस पोस्ट केवल जानकरी के लिये है । योगके दरम्यान कोयभी नुकशान होगा तो हम जवबदार नही है । हमने तो मात्र आपको सही ज्ञान मिले ओर आप योग के बारेमे जान चके इस उदेशसे हम आपको जानकारी दे रहे है । (Kundalini Yoga in Hindi)

इसेभी देखे – ॥ भारतीय सेना (Indian Force) ॥ पुरस्कार (Awards) ॥ इतिहास (History) ॥ युद्ध (War) ॥ भारत के स्वतंत्रता सेनानी (FREEDOM FIGHTERS OF INDIA) ॥

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