नाड़ी क्या है (What is Pulse)

What is Pulse
What is Pulse

नाड़ी (What is Pulse)

शरीर के ऊर्जा‌-कोष में, जिसे प्राणमयकोष कहा जाता है, 72,000 नाड़ियां होती हैं। ये 72,000 नाड़ियां तीन मुख्य नाड़ियों- बाईं, दाहिनी और मध्य यानी इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना से निकलती हैं। ‘नाड़ी’ का मतलब धमनी या नस नहीं है। नाड़ियां शरीर में उस मार्ग या माध्यम की तरह होती हैं जिनसे प्राण का संचार होता है।

इन 72,000 नाड़ियों का कोई भौतिक रूप नहीं होता। यानी अगर आप शरीर को काट कर इन्हें देखने की कोशिश करें तो आप उन्हें नहीं खोज सकते। लेकिन जैसे-जैसे आप अधिक सजग होते हैं, आप देख सकते हैं कि ऊर्जा की गति अनियमित नहीं है, वह तय रास्तों से गुजर रही है। प्राण या ऊर्जा 72,000 अलग-अलग रास्तों से होकर गुजरती है। ‘नाड़ी’ का मतलब धमनी या नस नहीं है। नाड़ियां शरीर में उस मार्ग या माध्यम की तरह होती हैं जिनसे प्राण का संचार होता है, शरीर के ऊर्जा‌-कोष में, जिसे प्राणमयकोष कहा जाता है, 72,000 नाड़ियां होती हैं। ये 72,000 नाड़ियां तीन मुख्य नाड़ियों- बाईं, दाहिनी और मध्य यानी इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना से निकलती हैं।

इड़ा और पिंगला जीवन की बुनियादी द्वैतता की प्रतीक हैं। इस द्वैत को हम परंपरागत रूप से शिव और शक्ति का नाम देते हैं। या आप इसे बस पुरुषोचित और स्त्रियोचित कह सकते हैं, या यह आपके दो पहलू – लॉजिक या तर्क-बुद्धि और इंट्यूशन या सहज-ज्ञान हो सकते हैं। जीवन की रचना भी इसी के आधार पर होती है।

इन दोनों गुणों के बिना, जीवन ऐसा नहीं होता, जैसा वह अभी है। सृजन से पहले की अवस्था में सब कुछ मौलिक रूप में होता है। उस अवस्था में द्वैत नहीं होता। लेकिन जैसे ही सृजन होता है, उसमें द्वैतता आ जाती है। (लेख – What is Pulse)

पुरुषोचित और स्त्रियोचित का मतलब लिंग भेद से – या फिर शारीरिक रूप से पुरुष या स्त्री होने से – नहीं है, बल्कि प्रकृति में मौजूद कुछ खास गुणों से है। प्रकृति के कुछ गुणों को पुरुषोचित माना गया है और कुछ अन्य गुणों को स्त्रियोचित। आप भले ही पुरुष हों, लेकिन यदि आपकी इड़ा नाड़ी अधिक सक्रिय है, तो आपके अंदर स्त्री-प्रकृति यानि स्त्रियोचित गुण हावी हो सकते हैं। आप भले ही स्त्री हों, मगर यदि आपकी पिंगला अधिक सक्रिय है, तो आपमें पुरुष-प्रकृति यानि पुरुषोचित गुण हावी हो सकते हैं।

अगर आप इड़ा और पिंगला के बीच संतुलन बना पाते हैं तो दुनिया में आप प्रभावशाली हो सकते हैं। इससे आप जीवन के सभी पहलुओं को अच्छी तरह संभाल सकते हैं। अधिकतर लोग इड़ा और पिंगला में जीते और मरते हैं, मध्य स्थान सुषुम्ना निष्क्रिय बना रहता है। लेकिन सुषुम्ना मानव शरीर-विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। जब ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश करती है, जीवन असल में तभी शुरू होता है। (लेख – What is Pulse)

हमारे शरीर में मुख्य तीन नाड़ी है।

  • इड़ा
  • पिंगला
  • सुषुम्ना
Pulse
Pulse

वैसे तो हमारे शरीर में 72000  नाड़ियां होती हैं पर उनमें से तीन मुख्य नाड़ियां होती हैं, वह इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी | नाड़ी शब्द एक संस्कृत शब्द से लिया गया है इसका मतलब है -नाली जैसा प्रवाह | इन नाड़ियों के माध्यम से प्राण वायु हमारे शरीर में विकसित होती है और हमें ऊर्जा प्रदान करती हैं |(लेख – What is Pulse)

जब हमारे  बाय ओर के नाक के छिद्र से श्वास आती है, प्राणवायु आती है तब इड़ा नाडी चल रही होती है | इस नाड़ी को चंद्रमा की संज्ञा दी गई है और जब हमारे दाय ओर के नाक के छिद्र श्वास आ रही होती है- तब पिंगला नाड़ी चल रही होती है, इसे सूर्य की संज्ञा दी गई है शास्त्रों में सूर्य को हमारे पिता की संज्ञा दी गई है और चंद्रमा को हमारी माता की संज्ञा दी गई है | अगर हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी संतुलित है सही है तो ही हमारा शरीर स्वस्थ रह सकता है |(लेख – What is Pulse)

कबहु इड़ा स्वर चलत है , कभी पिंगला माहि,

सुष्मन इनके बीच बहत है गुर बिन जाने नहीं

जैसे की हमारे नाक के बाय ओर से सांस आ रही है तो इड़ा नाडी चल रही है और अगर दाय ओर के नाक  से सांस आ रही है तो पिंगला नाड़ी चल रही है | जब हमारी इड़ा और पिंगला नाड़ी चल रही होती है, उस समय  हमें सांसारिक, दुन्यावी या भौतिक काम करने चाहिए | इड़ा और पिंगला नाड़ी के चलते समय हम कोई भी संसारिक या भौतिक काम करेंगे, तो उसमें हमें तरक्की उन्नति की प्राप्ति होती है | पर जब यह नाड़ियां चल रही होती है उस समय हम आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर सकते | ज्यादातर लोग पीड़ा और पिंगला नाड़ी में ही जीते और मरते हैं |

ज्यादातर लोगों की सुषुम्ना नाड़ी निष्क्रिय ही रह जाती है, औऱ वो आध्यात्मिक यात्रा के बिना ही अपने मनुष्य जन्म को पार कर जाते है | इस तरह से मनुष्य जन्म का मूल मकसद शुरू होने से पहले ही ख़तम हो जाता है |

अब हम आगे बात करते हैं सुषुम्ना नाड़ी के बारे में दोनों नाड़ी के मध्य में सुषम्ना नाड़ी स्थित है | सुषुम्ना नाड़ी के विकसित होने से हम पारदर्शी हो जाएंगे |(लेख – What is Pulse)

अगर आप इड़ा और पिंगला नाड़ी के प्रभाव में हैं तो आप संसार की बाहरी सुख दुःख को देखकर को प्रतिक्रिया करेंगे | अगर आपके ज़िन्दगी के surrounding  अशांति है, तो आपका मन अशांत, विचलित रहेगा औऱ अगर आप को बहार सुख मिलता है तो आपको ख़ुशी मिलेगी |  लेकिन एक बार अगर आपकी सुषुम्ना नाड़ी में ऊर्जा का प्रवेश हो जाए, तो आप एक नए किस्म का संतुलन पैदा कर लेंगे | अगर आपके चारों ओर अशांति है तो अशांति से आप विचलित नहीं होंगे |(लेख – What is Pulse)

सुषुम्ना नाड़ी के विकसित होने से अशांति का स्थान शांति ले लेती है | आपका जीवन शांतिमय, सुखमय बन जाता है  | आपके सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन में बैलेंस बन जाता है और जब से बैलेंस बनना शुरू हो गया, तब से आपकी लाइफ स्वर्ग बन जाएगी | आपको जिंदगी जीने का मजा आ जाएगा |(लेख – What is Pulse)

ऋषि मुनियों का दिया हुआ आशीर्वाद क्यों सत्य हो जाता है क्योंकि जब वह समाधि अवस्था में जाते हैं उनकी सुषम्ना नाड़ी चल रही होती हैं और आकाश तत्व भारी होता है, जिससे कोई भी की गई प्रार्थना, या कोई भी बात है, वह सत्य हो जाती है, पूरी हो जाती है, इसलिए उनका आशीर्वाद काम करता है | (लेख – What is Pulse)

इसी तरह से अगर भी हम अपने सुषुम्ना नाड़ी में ऊर्जा का प्रवाह करेंगे, जब सुषमा नाड़ी चल रही हो उस समय हमें अपनी भक्ति पूजा-पाठ ज्ञान तप आदि करना चाहिए | उस समय किया हुआ कोई भी आध्यात्मिक काम पूरा होता है, सिद्ध होता है, उस टाइम हमारे द्वारा सोचा हुआ कोई भी  काम हमारा पूरा हो जाता है |(लेख – What is Pulse)

यह तीनों नाड़ीयां मूलाधार चक्र से निकलती है इसलिए मूलाधार चक्र को मुक्त त्रिवेणी (जहां से तीनों नारियां अलग होती हैं) कहां जाता है और आज्ञा चक्र युक्त त्रिवेणी (जहां तीनों नारियां आपस में मिल जाती हैं) कहां जाता है सुषुम्ना नाड़ी में ऊर्जा का प्रवाह होने से  शारीरिक और आध्यात्मिक विकास होता है, भविष्य में झांकने की क्षमता बढ़ जाती हैं | एक ही जगह बैठे हुए पूरी दुनिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |(लेख – What is Pulse)

सुषुम्ना नाड़ी मूलाधार (Basal plexus) से आरंभ होकर यह सिर के सर्वोच्च स्थान पर अवस्थित सहस्रार तक आती है। सभी चक्र सुषुम्ना में ही विद्यमान हैं। इड़ा को गंगा, पिंगला को यमुना और सुषुम्ना को सरस्वती कहा गया है। इन तीन ना‍ड़ियों का पहला मिलन केंद्र मूलाधार कहलाता है। इसलिए मूलाधार को मुक्तत्रिवेणी और आज्ञाचक्र को युक्त त्रिवेणीकहते हैं। (लेख – What is Pulse)

हम कैसे चेक करें कि हमारी कौन सी नाड़ी चल रही हैं ?

जब हम श्वास लेते हैं, अपने नाक के नीचे उंगली रख कर हमें देखना चाहिए कि जो हमारी श्वास है, वह किस नाक के छिद्र से आ रही हैं, अगर श्वास बाई ओर से आ रही है तो इड़ा नाड़ी चल रही है और श्वास दाईं ओर से आ रही है तो पिंगला नाड़ी चल रही है और अगर श्वास दोनों छिद्र से आ रही है तो सुषम्ना नाड़ी चल रही है |(लेख – What is Pulse)

हमें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि जब हमारी सुषुम्ना नाड़ी चल रही हो, तो हमें सब संसारी कामों को बंद कर कर सिमरन जप, तप, पाठ पूजा आदि करना चाहिए ताकि हम अपने आध्यात्मिक यात्रा को शुरू कर सकें |(लेख – What is Pulse)

टिप्पणी (Note)

इस पोस्टमे हमने विज्ञान भैरव तंत्र (Vigyan Bhairav Tantra), पतंजलि योग सूत्र, रामायण (Ramcharitmanas)श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (Shrimad Bhagvat Geeta)महाभारत (Mahabhart)वेद (Vedas)  आदी परसे बनाइ है । (लेख – What is Pulse)

आपसे निवेदन है की आप योग करेनेसे पहेले उनके बारेमे जाण लेना बहुत आवशक है । आप भीरभी कोय गुरु या शास्त्रो को साथमे रखके योग करे हम नही चाहते आपका कुच बुरा हो । योगमे सावधानी नही बरतने पर आपको भारी नुकशान हो चकता है । (लेख – What is Pulse)

इस पोस्ट केवल जानकरी के लिये है । योगके दरम्यान कोयभी नुकशान होगा तो हम जवबदार नही है । हमने तो मात्र आपको सही ज्ञान मिले ओर आप योग के बारेमे जान चके इस उदेशसे हम आपको जानकारी दे रहे है । (लेख – What is Pulse)

इसेभी देखे – ॥ भारतीय सेना (Indian Force) ॥ पुरस्कार (Awards) ॥ इतिहास (History) ॥ युद्ध (War) ॥ भारत के स्वतंत्रता सेनानी (FREEDOM FIGHTERS OF INDIA) ॥

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