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प्राण मुद्रा (Prana Mudra in Hindi) मुद्रा क्या है :-
प्राण मुद्रा को प्राणशक्ति का केंद्र माना जाता है और इसको करने से प्राणशक्ति बढ़ती है। इस मुद्रा में छोटी अँगुली (कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श कराना होता है। और बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का ‘वी’बन जाता है। आइये विस्तार से जानते है प्राण मुद्रा के बारे में और इसके फायदे , इसे कैसे किया जाए। (Prana Mudra in Hindi)
पृथ्वी तत्व ,आकाश तत्व व अग्नि तत्वों का मिलान। अपान वायु नाभि से नीचे पैरों तक विचरण करती है-पेट ,नाभि , गुदा , लिंग , घुटना , पिंडली , जंघाएं , पैर सभी प्रभावित होते हैं। अत: अपान मुद्रा द्वारा नाभि से पैरों तक के सभी रोग ठीक होते हैं। अपान वायु की गति नीचे की ओर होती है। अपान मुद्रा अपान वायु को सकिय कर देती है। (Prana Mudra in Hindi)
इस मुद्रा से आकाश और पृथ्वी तत्व बढ़ते हैं। अपच का कारण है ठूंस-ठूंस कर खाना जिससे आकाश तत्व की कमी हो जाती है और शक्तिहीनता हो जाती है। यह मुद्रा इन दोनों कमियों को दूर करती है। (Prana Mudra in Hindi)
प्राण मुद्रा कैसे करे :-
1- सबसे पहले आप जमीन पर कोई चटाई बिछाकर उस पर पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ।
2- ध्यान रहे की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
3- अब अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये।
4- अब अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली (कनिष्ठा) एवं इसके बगल वाली अंगुली(अनामिका)के पोर को अंगूठे के पोर से लगा दें।
5- ध्यान रहे की इन दोनों उँगलियों के बीच अधिक दवाव न बने।
6- अपना ध्यान श्वास पर लगाकर अभ्यास करना चाहिए। अभ्यास के दौरान श्वास मान्य रखना है।
7- इस स्थिति में आपको 48 मिनट तक रहना चाहिये।
मुद्रा करने का समय :-
यह मुद्रा कम से कम 48 मिनिट तक करें। सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। यदि एक बार में 48 मिनट तक करना संभव न हो तो प्रातः,दोपहर एवं सायं 16-16 मिनट कर सकते है। (Prana Mudra in Hindi)
प्राण मुद्रा के लाभ :-
1. नस – नाड़ियों का शोधन होता है।
2. इस मुद्रा से विजातीय तत्व बाहर निकलते हैं। शरीर शुद्ध और निर्मल बनता है। (Prana Mudra in Hindi)
3. पेट के सभी अंग सक्रिय होते हैं। पेट के सभी विकारों – उल्टी, हिचकी, जी मिचलाना, डायरिया में लाभ होता है।
4. पसीना आने की क्रिया को यह मुद्रा उत्तेजित करती है और शरीर की अवांछित गर्मी को बहार निकालती है। पैरों की जलन दूर होती है।
5. उच्च रक्तचाप , मधुमेह, गुर्दे के रोग , श्वास रोग , दांत दर्द , मसूड़ों के रोग , पेशाब का रुक जाना , पेशाब की जलन , यकृत के रोग , पेट दर्द , कब्ज , पाचन रोग , बवासीर , कोलाईटस तक ठीक होते हैं। सर्दी के कारण दांत दर्द में मिर्गी मुद्रा करें।
6. गर्भावस्था के नोंवे महीने में इस मुद्रा को रोज लगाने से प्रसव आसान होता है और सिजेरियन आप्रेशन से बचाव होता है। महिलाओं की मासिक धर्म की तकलीफें दूर होती हैं।
7. नाभि अपने स्थान पर रहती है। (Prana Mudra in Hindi)
8. पेट के सभी अंग स्वस्थ रहते हैं । प्रसिद्ध कहावत है कि पेट ही सभी रोगों की जड़ है जब पेट ठीक तो सभी रोग ठीक। इसीलिए अपान मुद्रा एक अत्यन्त लाभदायक मुद्रा है।
9. इस मुद्रा के नित्य अभ्यास से मुख ,नाक ,कान ,आंख आदि के विकार भी स्वाभाविक रूप से दूर होते हैं।
10. मधुमेह में 15 मिनट अपान मुद्रा और 15 मिनट प्राण मुद्रा करने से अधिक लाभ होता है।
11. गुर्दे फेल होने पर भी यह मुद्रा काम करती है और महिलाओं में हार्मोन की तकलीफ ठीक होती है।
12. बस में यात्रा करते समय अपान मुद्रा करने से उल्टी नहीं आती है। (Prana Mudra in Hindi)
13. अपान मुद्रा से मूंह के छाले भी ठीक होते हैं। गुर्दे की बीमारी भी ठीक होती है।
14. अपान मुद्रा से नपुंकसता , अनिद्रा , पीलिया , अस्थमा एवं हरमोन प्रणाली भी ठीक होती है।
15. प्राण मुद्रा और अपान मुद्रा के नित्य अभ्यास से आध्यात्मिक साधना का मार्ग प्रशस्त होता है। अगर अपान मुद्रा के बाद प्राण मुद्रा की जाए तो प्राण और अपान दोनों के साथ होने से समाधि की गहराई में जा सकते हैं। आचार्य केशव देव जी का कहना है कि अपान मुद्रा के करने से संपूर्ण शरीर मल रहित हो जाता है। इसका अभ्यास कम से कम 45 मिनट तो करना ही चाहिए।
16. इस मुद्रा से स्वाधिष्ठान चक्र और मूलाधार चक्र प्रभावित होते हैं।
17. इसके नियमित अभ्यास से शरीर अलौकिक शक्तियों से युक्त हो जाता है।
18. इस मुद्रा को करने से प्राण शक्ति की कमी दूर होकर व्यक्ति तेजस्वी बनता है।
19. प्राण मुद्रा करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है और आँखों से जुड़ी बहुत सी परेशानियां भी दूर होती है।
20. इसका अभ्यास करने से प्रतिरोधक तंत्र मजबूत बनता है। (Prana Mudra in Hindi)
21. जिन महिलाओ को मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्द होता है उन्हें इसे करने से फायदा मिलता है।
प्राण मुद्रा में सावधानियां :-
प्रसव के पहले आठ महीनों में इस मुद्रा का प्रयोग न करें। प्राणमुद्रा से बढ़ने वाली प्राणशक्ति का संतुलन बनाकर रखना चाहिए और यह मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। मुद्रा में ध्यान नहीं भटकाना चाहिए। (Prana Mudra in Hindi)
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