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आकाश मुद्रा (Aakash Mudra In Hindi) क्या है :-
मध्यमा अंगुली आकाश तत्व का प्रतीक होती है। जब अग्नि तत्व और आकाश तत्व आपस में मिलते हैं , तो आकाश जैसे विस्तार का आभास होता है। आकाश तत्व की बढ़ोतरी होती है। आकाश में ही ध्वनि की उत्पत्ति होती है और कानों के माध्यम से ध्वनि हमारे भीतर जाती है। (Aakash Mudra In Hindi)
आकाश मुद्रा करने के लिए मध्यमा अंगुली को अंगूठे के अग्रभाग से लगा लें और बाकी की अंगुलियों को बिल्कुल सीधा कर लें। इस मुद्रा को नियमित रूप से करने से कान के रोग, बहरेपन, कान में लगातार व्यर्थ की आवाजें सुनाई देना व हड्डियों की कमजोरी आदि दूर होती हैं। (Aakash Mudra In Hindi)
आकाश मुद्रा करने की विधि :-
1- सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी / चटाई बिछा दे।
2- अब सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
3- अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली आकाश की तरफ कर लें।
4- अंगुठे के अग्रभाग को मध्यमा उंगुली के अग्रभाग से मिलाएं , शेष तीनों उंगुलियां सीधी रखें।
मुद्रा करने का समय :-
यह मुद्रा कम से कम 48 मिनिट तक करें। सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। यदि एक बार में 48 मिनट तक करना संभव न हो तो प्रातः,दोपहर एवं सायं 16-16 मिनट कर सकते है। (Aakash Mudra In Hindi)
आकाश मुद्रा से होने वाले लाभ :-
1. आकाश तत्व के विस्तार से शून्यता समाप्त होती है। खालीपन , खोखलापन , मुर्खता दूर होती है खुलेपन का विस्तार होता है।
2. कानों की सुनने की शक्ति बढ़ती है तथा कान के अन्य रोग भी दूर होते हैं। जैसे कानों का बहना , कान में झुनझुनाहट , कानों का बहरापन। इसके लिए कम से कम एक घंटा रोज यह मुद्रा लगाएं।
3. आकाश तत्व के विस्तार से ह्रदय रोग , ह्रदय से संबंधित समस्त रोग , उच्च रक्तचाप भी ठीक होते हैं क्योंकि आकाश तत्व का सम्बन्ध ह्रदय से है।
4. शरीर की हडिडयाँ मजबूत होती हैं। कैल्शियम की कमी दूर होती है।ऑस्टियोपोरोसिस यानि अस्थि क्षीणता दूर होती है।इसके लिए रोज एक घंटे का अभ्यास करें। (Aakash Mudra In Hindi)
5. दाएं हाथ से पृथ्वी मुद्रा और बाएं हाथ से आकाश मुद्रा बनाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है।
6. जबड़े की जकड़न इस मुद्रा से दूर होती है। विशेष और तुरंत लाभ।
7. माला के मोतियों को अंगूठे पर रखकर मध्यमा उंगुली के अग्रभाग से माला फेरने से भौतिक सुख मिलता है , ऐश्वर्य प्राप्त होता है। मध्यमा उंगुली शनि की प्रतीक होती है यह मुद्रा शनि पूजा की भी प्रतीक होती है। (Aakash Mudra In Hindi)
8. ध्यान अवस्था में यह मुद्रा आज्ञा चक्र एवं सहसार चक्र पर कम्पन पैदा करती है – जिससे दिव्य शक्तियों की अनुभूति होती है तथा आंतरिक शक्तियों का विकास होता है। अधिकांशत: जप व ध्यान इस मुद्रा में किए जाते हैं।
9. आकाश तत्व का संबंध आध्यत्मिकता से होता है।
10. मानसिक व शरीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए यह मुद्रा रामबाण है।
11. बाएं हाथ से आकाश मुद्रा बनाकर भोजन करने से भोजन का श्वास नली में जाने का खतरा नहीं होता है।
12. कफ के दोष दूर होते हैं। गले में जमा हुआ कफ ठीक होता है। शरीर में कहीं भी दूषित कफ फंसा हो तो वह इस मुद्रा से दूर हो जाता है।
13. इस मुद्रा से मिर्गी का रोग भी ठीक होता है। (Aakash Mudra In Hindi)
आकाश मुद्रा में सावधानियाँ :-
यह मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। इस मुद्रा को करते समय अपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए। और इस मुद्रा को शोर व् गंदे स्थान पर नही करना चाहिए। (Aakash Mudra In Hindi)
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